मेने अपना पूरा बचपन रुपैडिहा में ही बिताया है, इसलिए इससे दिली लगाव भी बहुत है। भारत - नेपाल सीमा छेत्र होने के कारण इसका महत्व और भी बढ़ जाता है, चाहे सुरक्षा की दृष्टि से हो या इकोनोमी के दृष्टि से ।
इतना महत्वपूर्ण छेत्र होने के बावजूद विकास से हमेशा वंचित ही रहा है । यहाँ की सड़क की हालत तो में पहले ही एक विडियो क्लिप के माध्यम से दिखा चुका हूँ ।और विधुत विभाग की मेहरबानी तो हमेशा ही बनी रहती है, दिन में 1 भी घन्टे सही से लाइट दे दे तो हमारा पूरा दिन अच्छा हो जाये ।
में बचपन से हमेशा यही आशा लगाये बैठा हूँ की इस बार यहाँ प्रतिनिधि (सांसद, विधायक और हर राजनितिक व्यक्ति जो यहाँ के विकास और अपेक्षा के लिए जिम्मेदार है ) वो कुछ करेंगे रुपैडिहा के विकास के लिए , में ही क्यों यहाँ का हर व्यक्ति यही उम्मीद में है की इस बार की सरकार कुछ मेहरबानी करेगी, कभी हम केंद्र का तो कभी प्रदेश की सरकार से उम्मीद लगाये रहते है ।लेकिन उम्मीद सिर्फ उम्मीद ही बरकरार है, हकीक़त नहीं बन पाया है ।
अभी कुछ दिनों पहले मै अपने घर गया, काफी समय के बाद जा रहा था, इसलिए बहुत उत्सुक भी था, मेरे मन में यही सब कुछ चल रहा था की इस बार मेरा रुपैडिहा कुछ तो बदला होगा, कुछ तो विकास हुआ होगा, लेकिन जब मैने बहराइच से रुपैडिहा का सफ़र बस से किया तो मेरी उम्मीद पे फिरसे पानी फिर गया ।
मेने फिर सोचा इन सबके लिए कोन जिम्मेदार है ?? यहाँ का प्रशासन ....यहाँ के राजनेता .....या यहाँ की जनता ....
जवाब साफ़ था, इसके लिए हम यानि की यहाँ की जनता अपने अपेक्षित होने के लिए जिम्मेदार है । ये हालात सिर्फ इसलिए है क्योंकि हम अपनी आवाज को बुलंद नहीं करते, कभी ये जानने की कोशिस नहीं करते की रुपैडिहा - बहराइच मार्ग के विकास के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है .... यहाँ के विधुत वितरण व्वस्था इतनी बुरी क्यों है ....
में यहाँ दिल्ली में बैठकर, समय निकाल के इस ब्लॉग पे अपने जजबात इसलिए लिख रहा हूँ की शायद हमारे छेत्र की जनता /प्रतिनिधि और हमारी सरकार रुपैडिहा के विकास के लिए कोई कदम उठाये .
इतना महत्वपूर्ण छेत्र होने के बावजूद विकास से हमेशा वंचित ही रहा है । यहाँ की सड़क की हालत तो में पहले ही एक विडियो क्लिप के माध्यम से दिखा चुका हूँ ।और विधुत विभाग की मेहरबानी तो हमेशा ही बनी रहती है, दिन में 1 भी घन्टे सही से लाइट दे दे तो हमारा पूरा दिन अच्छा हो जाये ।
में बचपन से हमेशा यही आशा लगाये बैठा हूँ की इस बार यहाँ प्रतिनिधि (सांसद, विधायक और हर राजनितिक व्यक्ति जो यहाँ के विकास और अपेक्षा के लिए जिम्मेदार है ) वो कुछ करेंगे रुपैडिहा के विकास के लिए , में ही क्यों यहाँ का हर व्यक्ति यही उम्मीद में है की इस बार की सरकार कुछ मेहरबानी करेगी, कभी हम केंद्र का तो कभी प्रदेश की सरकार से उम्मीद लगाये रहते है ।लेकिन उम्मीद सिर्फ उम्मीद ही बरकरार है, हकीक़त नहीं बन पाया है ।
अभी कुछ दिनों पहले मै अपने घर गया, काफी समय के बाद जा रहा था, इसलिए बहुत उत्सुक भी था, मेरे मन में यही सब कुछ चल रहा था की इस बार मेरा रुपैडिहा कुछ तो बदला होगा, कुछ तो विकास हुआ होगा, लेकिन जब मैने बहराइच से रुपैडिहा का सफ़र बस से किया तो मेरी उम्मीद पे फिरसे पानी फिर गया ।
मेने फिर सोचा इन सबके लिए कोन जिम्मेदार है ?? यहाँ का प्रशासन ....यहाँ के राजनेता .....या यहाँ की जनता ....
जवाब साफ़ था, इसके लिए हम यानि की यहाँ की जनता अपने अपेक्षित होने के लिए जिम्मेदार है । ये हालात सिर्फ इसलिए है क्योंकि हम अपनी आवाज को बुलंद नहीं करते, कभी ये जानने की कोशिस नहीं करते की रुपैडिहा - बहराइच मार्ग के विकास के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है .... यहाँ के विधुत वितरण व्वस्था इतनी बुरी क्यों है ....
में यहाँ दिल्ली में बैठकर, समय निकाल के इस ब्लॉग पे अपने जजबात इसलिए लिख रहा हूँ की शायद हमारे छेत्र की जनता /प्रतिनिधि और हमारी सरकार रुपैडिहा के विकास के लिए कोई कदम उठाये .